यूट्यूब से सीखा मछली पालन, नौकरी छोड़ धंधे में उतरे तो हो रहा है दोगुना मुनाफा

हमारे देश में कई ऐसे लोग हैं जो नए आइडिया से अपना बिजनेस शुरू करते हैं और सालाना करोड़ों कमा लेते हैं और वह हमारे यूथ के लिए इंस्पिरेशन से कम नहीं है आज हम आपको इस आर्टिकल में एक ऐसे ही शख्स के बारे में बताने जा रहे हैं जो बायो फ्लॉक तकनीक से मछली का पालन कर रहे हैं और दोगुना मुनाफा कमा रहे हैं तो चलिए जानते हैं वह ऐसा क्या करते हैं जो हर कोई नहीं करता है.
मछली पालन तो कई लोग करते हैं लेकिन बेगूसराय के घाघरा पंचायत के नरेश नई तकनीक से मछली पालन कर सुर्खियों में है। वे बायोफ्लॉक व इंडोनेशियाई तकनीक से मछली पालन कर अपनी जिंदगी संवारने में जुटे हैं। नरेश के द्वारा बनाए गए मानव निर्मित तालाब में कई तरह की दुर्लभ प्रजातियां के साथ ही देशी मांगुर मछली की विलुप्त प्रजाति भी आसानी से देखने को मिल जाती है।

दैनिक भास्कर को दिए गए एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि कि पिछले साल अगस्त में उन्होंने अपने दरवाजे की जमीन पर 18 लाख रुपए खर्च कर 9 बायोफ्लॉक कृत्रिम तारोपोलिन टैंक बनवाया। शुरुआती दिनों में जानकारी के अभाव के कारण काफी मशक्कत झेलनी पड़ी। लेकिन अब सब ठीक चल रहा है और काफी अच्छा मुनाफा हो रहा है।
यूट्यूब से सीखी यह तकनीक
इंटरव्यू में आगे नरेश बताते हैं कि बताते हैं कि किशनगढ़ से इलेक्ट्रिक ट्रेड में डिप्लोमा करने के बाद लगभग सात वर्षों तक पावर हाउस बकरी में काम किया। इसी दौरान मछली पालन की यह तकनीक यूट्यूब पर देखी। फिर किया था नरेश नौकरी छोड़ इसी धंधे में उतर गए।
नरेश ने बताया कि 23*23 फीट के टैंक में पांच प्रजाति की मछलियों का पालन कर रहे हैं। मछली का विचरा, पानी, ऑक्सीजन, भोजन, मजदूरी आदि पर लगमग 40 हजार रुपए का खर्च गिरता हैं। लोग थोक में इन मछलियों को खरीदकर ले जाते हैं। इससे पहली बार में लगमग एक लाख 20 हजार रुपए की इनकम हुई। इस प्रकार छह महीने में लागत से दोगुना मुनाफा हुआ।
आधुनिक तरीके से ऑक्सीजन सप्लाई होता है
आगे वह बताते हैं कि ठंड के दिनों में तापमान को बनाए रखना एक बड़ी चुनौती होती है। चार-पांच दिनों पर टैंक के पानी में अमोनियम एल्केनेटी, पीएच और टीडीएस रखरखाव करते रहना पड़ता है। मछली पालन के लिए यहां अत्याधुनिक तकनीक से ऑक्सीजन का भी सप्लाई होता है। इन सबके अलावा 24 घंटे बिजली उपलब्ध रहे इसके लिए सोलर लाइट, इन्वर्टर, जेनरेटर और बिजली कनेक्शन का सहारा बंदोबस्त है.