भगवाकरण को लेकर यह क्या बोल गए उपराष्ट्रपति? कहा इंग्लिश के साथ-साथ…

सोशल मीडिया पर हमेशा संस्कृति और ट्रेडिशनल चीजों के लिए बातें होती रहती है लेकिन हाल ही में भारत के उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने अपनी बेसिक मानसिकता को लेकर बड़ा बयान दिया है और सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा है तो चलिए कि इसके बारे में शिक्षा के भगवाकरण को लेकर राष्ट्रपति ने क्या बोला.
नायडू ने स्वतंत्रता के 75वें वर्ष में शिक्षा की मैकाले प्रणाली को पूरी तरह से खारिज करने की बात कही. उन्होंने कहा कि मैकाले शिक्षा प्रणाली ने देश में शिक्षा के माध्यम के रूप में एक विदेशी भाषा को थोप दिया और शिक्षा को अभिजात वर्ग तक सीमित कर दिया.
सुलह संस्थान के उद्घाटन में बोली बात

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि उपराष्ट्रपति नायडू हाल ही में हरिद्वार में देव संस्कृति विश्व विद्यालय में दक्षिण एशियाई शांति और सुलह संस्थान का उद्घाटन करने गए गए थे.
वहां नायडू ने अपने संबोधन में कहा कि हमें अपनी संस्कृति, पारंपरिक ज्ञान का तिरस्कार करना सिखाया गया. साथ ही इसने एक राष्ट्र के रूप में हमारे विकास को धीमा कर दिया.
इंग्लिश भाषा पर के बारे में कहा यह
हमारे शिक्षा के माध्यम के रूप में एक विदेशी भाषा को लागू करने से शिक्षा सीमित हो गई. समाज का एक छोटा वर्ग, शिक्षा के अधिकार से एक विशाल आबादी को वंचित कर रहा है.
औपनिवेशिक मानसिकता को त्यागना चाहिए और अपने बच्चों को अपनी भारतीय पहचान पर गर्व करना सिखाना चाहिए.उनके मुताबिक इंग्लिश भाषा को छोड़कर या तो उसके साथ साथ हमें ज्यादातर हिंदी भाषा बोली चाहिए और उसमें गलत भी नहीं है और आगे उपराष्ट्रपति ने कहा कि हमें अपनी मातृभाषा से प्रेम करना चाहिए. इसके अलावा अपने शास्त्रों को जानने के लिए संस्कृत सीखनी चाहिए.
शिक्षा के भगवाकरण को लेकर बोली यह बात
आगे उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि हम पर शिक्षा का भगवाकरण करने का आरोप है, लेकिन फिर भगवा में क्या गलत है? सर्वे भवन्तु सुखिनः (सभी खुश रहें) और वसुधैव कुटुम्बकम (दुनिया एक परिवार है), जो हमारे प्राचीन ग्रंथों में बताया गया है.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इसके अलावा भी उपराष्ट्रपति नायडू ने संस्कृति और ट्रेडिशन के बारे में काफी कुछ कहा.